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कोई सदा है चला करती है

mera mat
mera mat
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जब तसव्वर मे तुम्हे पाता हूं
और तन्हा सा हुआ जाता हूं
एक दुनिया है तेरे ख्वाहिश की
जहां अक्सर मै चला आता हूं
मैं अपने सोच की नदी मे से
हमेशा अश्क चुरा लाता हूं
कोई सदा है चला करती है
मै जितनी दूर तलक जाता हूं
मै अक्सर दर्द और तनहाई मे
बड़ी शिद्दत से घर सजाता हूं
फलक पे तारे टिका करते है
मैं तो बादल हूं बरस जाता हूं

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