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तुम चार आयामों के
किसी निर्देशांक पर
साजिशन फसा दिए गए हो
और सुना है कि तुम्हारी नस्ल का श्रेष्ठता बोध
और उसका शास्त्रीय प्रमाण
किसी मिथक की पैदाइश है
क्योंकि तुम्हारी इस आत्ममुग्धता का तल
किसी घटना शंकु के शीर्ष का विस्तार नही है
शीर्ष पर जड़ तत्व है
जो खुद एक घटना है, जब
समय पैदा हुआ था
जब ‘पूर्व’ व ‘पश्चात’ को आधार मिला था
ज्ञान का सारा उपक्रम देश काल की सीमा का
अतिक्रमण नहीं कर सकता
यही सच है बाकी सब लफ्फाजी है
निर्माता वस्तुओ का होता है
और श्रृष्टि कोई वस्तु नही
वस्तुओ और घटनाओ का समुच्च्य है
सत्य तुम पर हसता है
जब तुम्हारी खोखली तर्क बुद्धि पूछती है
“हे ईश्वर कब रचा तूने काल को ?”
जबकि समय कहता है
“सारे सवाल ही मेरी पैदाईश का नतीजा हैं ,
खुद ईश्वर के अस्तित्व का सवाल भी ”
और अन्त मे सुनो मेरे प्रत्ययवादी मित्र
तुम्हारी समझ की समस्त ज्यामिति को
किसी ब्लैक होल के घटना क्षितिज पर जाने से
कोई नही बचा पाएगा
और तुम्हारा मोक्ष –
कभी न खत्म होने वाली
त्रासदी बन जाएगा
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