mera mat
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ये दिल तो इक मकां था
हुआ जब प्यार तो घर हो गया है
जिसे मंजिल पता थी
उसे रस्ता मयस्सर हो गया है
थी हसरत आसमां की
इरादा खुद ही सह पर हो गया है
क्षुद्र तो राह मे था
बूंद तो अब समन्दर हो गया है
निगाहें थीं खला मे
वो खोजी अब कलन्दर हो गया है
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