mera mat
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गुजरी है शब
यादो की चादर ओढ़े
ख्वाब आए है तेरे ख्यालों के
करवट बनकर
बंद दरवाजों को तका करता हूँ
मै अक्सर
तेरे अहसास जो आये है
आहट बनकर
और क्या ग़मज़दा होना भी
कोई तोहमत है
क्या हुआ पाक तो है मेरे
मुहब्बत का सफ़र
आइना भी दिखाता रहता है
तेरा ही अक्स
या तुम खड़ी हो उल्फत का
चेहरा बनकर
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