mera mat
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, टूटते सपनों का बचपन देखतीं हैं
देखती हैं , धूसरित,भयभीत यौवन देखती हैं
देखती हैं दंग मानवता का मर्दन देखती हैं
साजिशों मे बद्ध है,अनभिग्य जीवन देखती हैं
करार की भाषा मे षडयन्त्रों का अंकन देखती हैं
देखती हैं शब्दों मे अर्थों की टूटन देखती हैं
लिख रहा हूं मै सरोकारों की फिसलन लिख रहा हूं
लिख रहा हूं संहिताओं का मै वर्णन लिख रहा हूं
प्रिय चलो हम तोड़ डालें वर्जना लादी गई
समर मे प्रतिभाग का तुमको आवाहन लिख रहा हूं
आओ प्रिये कांटों भरे पथ पर निमन्त्रण लिख रहा हूं
अन्याय के प्रतिकार मे मै प्रेम का प्रण लिख रहा हूं
लिख रहा हूं अनवरत साझे समय मे लिख रहा हूं
लिख रहा हूं प्रेम की पाती ह्रदय मे लिख रहा हूं
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